
लखनऊ। कृषि कानून के विरोध में देश भर के किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच गतिरोध लगातार जारी है। इसी कड़ी में आज दिल्ली के सिंघु बार्डर से किसान लखनऊ पहुंचे। हाथों में पोस्टर लेकर किसानों ने कृषि बिल का विरोध किया। इन किसानों का कहना है कि वे लखनऊ सहित देश के अन्य शहरों में भी घूम घूमकर लोगों को जागरूक करेंगे। किसानों ने कहा कि सिंघु बार्डर पर बैठा किसान देश का किसान है वह जातियो में नहीं बंटा है, हम लोगों से अपील करेंगे हमारे साथ आएं हैं और इस आंदोलन में सहभागी बने।
वहीं कुछ ही दिन पहले कांग्रेस महासचिव ने एक फेसबुक में पोस्ट किया था कि
किसान आंदोलन में किसानों और सरकार के बीच बातचीत का आज 8 वां दौर खत्म हो गया। किसानों को आशा थी कि भाजपा सरकार अपनी कथनी के अनुसार किसानों का कुछ सम्मान तो करेगी लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। वार्तालाप करने वाले मंत्री मीटिंग में देर से पहुंचे और बिल वापस न लेने की बात करते रहे।
किसान सरकार के रुख से नाराज़ हैं।
आज दोपहर में मैं किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से मिली। पूरे दिन भर मैं भारत के हर कोने से इस किसान आंदोलन के समर्थन की आवाज सुनती रहती हूं।
26 जनवरी 2020 को हम अपने गणतंत्र दिवस को मनाएंगे। जब भी हम इस देश के जन गण मन की बात करते हैं उसमें किसान का जिक्र आना जरूरी हो जाता है। पूरे भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक ताने – बाने का जिक्र किसान के बिना अधूरा है। भाजपा सरकार आज जिस “आत्मनिर्भर” के नारे का झूठा ढोल पीट रही है, उस नारे को आत्मसात् करते हुए किसानों ने हरित क्रांति में हिस्सा लेते हुए खाद्यान्न के मामले में बहुत पहले भारत को आत्मनिर्भर बना दिया था। किसानों के बिना इस देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
आज इस पूरे आन्दोलन में लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है। किसानों ने लाठियां खाईं, आंसू गैस के गोलों का सामना किया, वाटर कैनन को झेला, सरकारी तंत्र व पापी मीडिया के हिस्से द्वारा फैलाई गई गलत सूचनाओं का जवाब दिया, ठंड झेली, बारिश में भी डटे रहे। किसान अपनी सालों की मेहनत का हक लुटने से रोकने के लिए डटे हैं। इस धरती पर मेहनत करके अन्न उगाकर पूरे देश का पेट भरने वाले किसान आज इन कानूनों की सच्चाई बताने सड़कों पर हैं।
आज इस देश को ये सोचना है कि किसान कानून किसानों के खेत से बनेंगे या भाजपा सरकार के चंद अरबपति मित्रों के ड्रॉइंग रूम में। इस देश के किसानों ने, इस देश का कानून बनाने वाले कई सारे सांसदों व विधायकों ने व करोड़ों आमजनों ने किसानों पर थोपे जा रहे इन कानूनों को अलोकतांत्रिक व किसानों के खिलाफ बताया है।
लेकिन भाजपा सरकार का व्यवहार देखकर पूरा देश हैरान है। कल यूपी से आए एक वीडियो में एक पुलिस वाला एक किसान को धमकाते हुए कह रहा था, “तुम्हारा छज्जा गिरा देंगे।” कल कई जगहों पर किसानों को रोककर उन्हें धमकाया गया। इसके पहले किसानों पर हरियाणा सरकार ने आंसू गैस के गोले बरसाए। यूपी में तो आंदोलनकारी किसानों की पहचान करने के लिए सरकार ने पूरा प्रशासनिक बल लगा दिया है। भाजपा नेता किसानों को बुरा – भला कह रहे हैं, गालियां दे रहे हैं।
हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी कहा करते थे कि सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन किसान नहीं।
हमारे आज़ादी के नायक महात्मा गांधी जी, सरदार पटेल जी, जवाहर लाल नेहरू जी ने किसानों की आवाज का समर्थन किया और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए।
इस सरकार ने क्रूरता व निर्दयता की हदें पार कर दी हैं। आज किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से मैंने यही कहा कि हम बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे। हम किसानों के साथ हमेशा रहे हैं। बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे।
समाधान यही है कि कानून वापिस लें और कोई समाधान नहीं है।