
अवैध निर्माण रोकने में एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश भी हुए फेल
जल्द ही ‘स्लम’ में तब्दील हो जाएगा नवाबों का शहर
लखनऊ : अवैध निर्माण कतई बर्दाश्त नहीं होगा की बात करने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश भी अवैध निर्माणों पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं, एलडीए वीसी का चार्ज संभालने के बाद अभिषेक प्रकाश ने कहा था कि अवैध निर्माण पर कोई राहत नहीं दी जाएगी और अवैध निर्माणों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, एलडीए उपाध्यक्ष ने सभी अभियंताओं को अपने अपने जोन में निर्मित अवैध निर्माणों को सूची भी भी बनाने के निर्देश दिए थे ताकि अवैध निर्माणों के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा सके, कुछ दिन कुछ जोन में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी की गई लेकिन फिर सब टॉय टॉय फिस्स हो गया, अवैध निर्माणों के ख़िलाफ़ चलाये गए इस अभियान को एलडीए अभियंताओं ने ‘अवसर’ के रूप में लिया और अवैध निर्माणों को ‘बख्शने’ और निर्माण ‘जारी’ रखने के लिए ‘मोटी रकम’ की वसूली शुरू कर दी।
एलडीए के अभियान के बाद और बढ़ गए अवैध निर्माण
एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने 90 दिन का अवैध निर्माण विरोधी अभियान राजधानी में चलाने का निर्देश दिया था, जोकि जिला प्रशासन और एलडीए का ये संयुक्त अभियान था, जिसमें अवैध निर्माणों को सूचीबद्ध कर उनके खिलाफ एक्शन लेने की बात कही गई थी, लेकिन हुआ उसका उल्टा अभियंताओं ने ‘अभियान’ को ‘अवसर’ में बदल कर ‘मोटी रकम’ लेकर ‘बिल्डरों’ के अवैध निर्माणों को ‘संरक्षण’ देना शुरू कर दिया, साथ ही ‘सील’ भूखंडों को ‘मौखिक’ आदेश’ जारी कर अवैध निर्माण करने की ‘परमिशन’ जारी कर दी।
क़ैसरबाग़ में दिखा बिल्डर – अभियंता गठजोड़ का बेहतरीन नमूना
अवैध निर्माण को किस तरह से संरक्षण दिया जाता है उसका बेहतरीन नमूना क़ैसरबाग़ में देखने को मिलता है, जहां अवर अभियंता से लेकर एलडीए उपाध्यक्ष तक से शिकायत करने के बावजूद निर्माण कार्य बंद नहीं होता है बल्कि निर्माण कार्य और तेज़ कर दिया जाता है, हद तो तब हो जाती है जब मुख्यमंत्री जनशिकायत पोर्टल के मध्यम से कई कई बार शिकायतें की जाती हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती, बल्कि मुख्यमंत्री पोर्टल को भी गलत रिपोर्ट भेज कर गुमराह किया जाता है।
मामला क़ैसरबाग़ भारतीय अवाम सोसाइटी 119/50 हाता दरबारी लाल खंदारी बाजार के बगल का है, जिसमे अनीस नामक बिल्डर द्वारा बिंना मानचित्र स्वीकृत कराए पांच मंजिला अवैध ग्रुप हाउसिंग का निर्माण करा रहा है, जिसकी शिकायत तत्कालीन अवर अभियंता से की गई थी, साथ ही मुख्यमंत्री पोर्टल पर आईजीआरएस संदर्भ संख्या 40015720039711, 40015720046414, 40915720068481 के माध्यम से की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि बिल्डर द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण को मौखिक सहमति दी गई, पहले फ्लोर की स्लैब डाले जाने पर शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कररए नहीं की गई जबकि बिल्डर ने पांचवी फ्लोर की स्लैब भी डाल ली, उक्त अवैध निर्माण के संबंध में विहित प्राधिकारी कार्यालय में 6 माह से ज़्यादा के समय वाद संख्या 243/2020 आजतक विचाराधीन ही है।
तीसरी बार भी बिल्डर ने तोड़ दी एलडीए द्वारा लगाई गई ‘सील’
यह मामला जोन 5 महानगर के ज़ियाउल हक़ पार्क के सामने खुर्रमनगर का है, जहां आवासीय प्लाट पर बिल्डरों द्वारा अवैध ग्रुप हाउसिंग का निर्माण किया जा रहा था, जिसपर अवैध निर्माण के विरूद्ध योजित वाद संख्या 92/2020 में विहित प्राधिकारी के आदेश पर 25 जनवरी 2020 को भखण्ड को सील कर पुलिस अभिरक्षा में दे दिया गया, जिसके बाद बिल्डर ने एलडीए अभियंताओं को ‘सेट’ कर ‘सील तोड़कर’ अवैध निर्माण शुरू कर दिया, जिसकी खबर प्रकाशित होने के बाद एलडीए अभियंताओं ने पुनः 28 जुलाई 2020 को सील किया गया और इंदिरा नगर पुलिस को पत्र संख्या 81/अ०अ०प्र०जोन 5 भी प्रेषित किया गया था, जिसके बाद कुछ माह तक निर्माण कार्य बंद रहा, उसके बाद फिर से बिल्डर द्वारा 10 जनवरी 2021 को सील तोड़कर रात के अंधेरे में पांचवी फ्लोर की अवैध स्लैब डॉय गई, जिसकी खबर प्रमुखता के साथ प्रकाशित व प्रसारित की गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
इसलिए नहीं होती है अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई
ये दो अवैध निर्माण तो सिर्फ बानगी भर है, ऐसे सैकड़ों मामले लखनऊ विकास प्राधिकरण के अभियंताओं के संरक्षण में फल फूल रहे हैं, जिनकी जानकारी प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश को भी है, लेकिन अभियंताओं के ‘चक्रव्यूह’ में फंसे एलडीए उपाध्यक्ष कुछ भी नहीं कर पा रहे है।
अवैध निर्माण को संरक्षण देने के एवज में हर जोन का अलग अलग ‘सिस्टम’ है, प्रॉपर्टी की कीमत के हिसाब से अवैध निर्माण को संरक्षण देने की ‘कीमत’ तय होती है, इलाके में तैनात एलडीए का ‘सुपरवाइजर’ बिल्डर और अवर अभियंता की ‘सेटिंग’ कराने का ‘सूत्रधार’ होता है, स्थानीय अभियंता प्रति स्लैब 1 से 3 लाख तक की वसूली इन बिल्डरों से संरक्षण देने के एवज में करता है, साथ ही प्रति माह पचास हज़ार से एक लाख रुपये तक कि वसूली अलग से होती है। जिसका ‘बंटवारा नीचे से ऊपर तक’ अधिशासी अभियंता के माध्यम से होता है ।
यही वजह है कि एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश हों या कोई और उपाध्यक्ष, अवैध निर्माणों पर लगाम नहीं लगा पाता है, और अवैध निर्माण कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ते जा रहे हैं, इसी तरह से ये अवैध निर्माण बढ़ते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब नवाबों का शहर लखनऊ ‘स्लम’ में तब्दील हो जाएगा।