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एलोपैथी के साथ अन्य चिकित्सा पद्धतियों का विलय एलोपैथी की हत्या के समान :- डा0 वसीम
शाहजहांपुर / भारत सरकार द्वारा एलोपैथिक चिकित्सा में अन्य चिकित्सा पद्धतियों के विलय को लेकर एलोपैथिक चिकित्सको में विरोध के स्वर मुखर हो रहे है खिचड़ी मेडिकल शिक्षा के खिलाफ जाने के लिए शाहजहाँपुर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा कल उपरोक्त अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शन करके उक्त विधेयक को समाप्त करने के लिए सरकार को ज्ञापन सौपा जाएगा इसकी जानकारी के लिए आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आज प्रेस वार्ता के दौरान दी ।
Vio 1 प्रेस वार्ता में बोलते हुए जनपद के वरिष्ठ सर्जन डाक्टर वसीम हसन खान ने कहा कि भारत वर्ष आयुर्वेद पद्धति की जननी है और यूनानी पद्धति का उदय भी यही से हुआ था उसके ब्रटिश काल मे वर्ष 1800 में मॉर्डन मेडिसिन एलोपैथी की शुरआत की गई जिनकी पढ़ाई के लिए कलकत्ता मद्रास व मुंबई में मेडिकल कालेज शुरू किए गए जिनसे निकले छात्रों ने एलोपैथी पद्धति से नए आयाम स्थापित किये उन्होंने कहा कि आज हमारे देश की एलोपैथी चिकित्सा विश्व मे सबसे अच्छी और सस्ती मानी जाती है और भारत के एलोपैथी चिकित्सको को पूरे विश्व मे सर्वोत्तम चिकित्सक माना जाता है ऐसे में सरकार द्वारा इस पद्धति में आयुर्वेदिक होम्योपैथिक व युनानी पद्धति को विलय करने का जो आदेश जारी किया है वह इस एलोपैथी पद्धति की हत्या करने के समान है ।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा यदि यह आदेश जारी हुआ तो आनेवाले समय मे यह पद्धति एक मजाक बन कर रह जायेगी इस खिचड़ी तंत्र से इलाज कराने वालों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ना लाज़मी है । क्योंकि चिकित्सा शिक्षा एक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा होती है मॉर्डन मेडिसिन पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित है इसमें हर इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है और यह पद्धति हर महामारी में नियंत्रक की भूमिका में खड़ी दिखती है इसका जीता जागता उदाहरण अभी रिसर्च करके कोविड वैक्सीन भी है ।
Vio 2 उन्होंने कहा कि मॉर्डन मेडिसिन में खिचड़ी तंत्र से पूरे विश्व मे हास्य का पात्र बनेगी यह विद्या क्योकि इस पढ़ाई से छात्र भ्रमित होंगे कि कौन से पद्धति को पड़ा जाए और यह पद्धति लागू होने से उच्चस्तरीय इलाज मिलने में काफी कठिनाइयां बढ़ जाएगी क्योकि भारतीय चिकित्सा का पूरा विश्व मे डंका बज रहा है विश्व के सभी देशों में 60 प्रतिशत चिकित्सक भारतीय है लेकिन सरकार द्वारा लागू किये जा रहे खिचड़ी तंत्र से ना तो अच्छे चिकित्सक मिल पाएंगे और ना बेहतर इलाज हो पायेगा इस लिए सरकार को अपनी हठधर्मिता को त्याग कर तत्काल इस आदेश को स्वत् समाप्त करना चाहिए ।